सडके बनी मौत का फंदा
धमतरी नगर निगम क्षेत्र की एक लाख आबादी इन दिनों अपनी ज़िंदगी मौत के खेल में दांव पर लगा रही है....
शहर के मुख्य चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल पिछले 10 दिनों से बंद पड़े हैं।
जिसका नतीजा –
- हर दिन दुर्घटनाओं की लंबी फेहरिस्त।
- सड़कें खून और चीख़ों से रंगी।
- हर कदम पर खौफ़ और डर का माहौल।
लोग कह रहे –
सड़क पार करना अब मंदिर जाने से भी बड़ा इम्तहान बन गया है।
मिठाई और लिफ़ाफ़े का खेल – रहस्य और शक
जहाँ ट्रैफिक विभाग को सिग्नल दुरुस्त करने चाहिए, वहीं दो ट्रैफिक सिपाही शहरभर में मिठाई और लिफ़ाफ़े बांटते घूमते दिखे।
इस नज़ारे ने पूरे शहर को झकझोर दिया।
अब हर नुक्कड़ पर बस यही सवाल –
- क्या हादसों का सच दबाने मिठाई बांटी गई?
- क्या लिफ़ाफ़ा खामोशी ख़रीदने का सौदा है?
एक बुज़ुर्ग ने तंज़ कसा –
लोग सड़क पर मर रहे हैं और पुलिसवाले लड्डू बांट रहे हैं!
सिपाही या तमाशबीन?
चौराहों पर तैनात सिपाही का हाल यह है –
- कोई मोबाइल पर व्हाट्सऐप करता है।
- कोई दोस्तों संग गप्पें हांकता है।
- कोई बाइक पर बैठकर आराम करता है।
पूरे शहर का जिम्मा सिर्फ़ एक एसआई के कंधों पर डाल दिया गया है।
जनता का कहना है –
ये ट्रैफिक कंट्रोल है या फिर मज़ाक़?
जनता की आवाज़ – हर गली से उठ रही
राहुल - कॉलेज छात्र
हर रोज़ हादसे होते हैं.... पुलिसवालों को बस फोन और गप्पों से फ़ुर्सत नही.... अब डर लगता है बाइक से निकलने में।
सुमित्रा बाई - गृहिणी
बच्चों को स्कूल भेजते वक्त दिल दहल जाता है.... सिग्नल ठप हैं, गाड़ियाँ बेकाबू..... हमारे बच्चों की सुरक्षा कौन करेगा?
नरेश कुमार - व्यापारी
चौराहे पर हर दिन भिड़ंत होती है..... पुलिस का काम बचाव करना नहीं, बस तमाशा देखना रह गया है।
रामनारायण - ऑटो चालक
ट्रैफिक बिगड़ा है...... हम रोज़ सड़क पर कमाते हैं, मगर हादसे का डर हर वक्त बना रहता है...... मिठाई-लिफ़ाफ़ा देखकर और शक बढ़ गया है।
अनुराधा - स्कूल शिक्षिका
बच्चे स्कूल जाते वक्त सिग्नल ठप होने से घंटों फँसे रहते हैं...... अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है।
जनता अब आख़िरी हद पर
गली-मोहल्लों में चर्चा –
- हमारी जान इतनी सस्ती क्यों है?
- क्या धमतरी की सड़कें यूँ ही मौत का जाल बनी रहेंगी?
लोगों ने चेतावनी दी है अगर हालात नहीं सुधरे तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
❓अब सवाल बड़ा – जिनका जवाब दीजिये
- कब चालू होंगे ठप पड़े सिग्नल?
- अब तक हुए हादसों का जिम्मेदार कौन?
- मिठाई और लिफ़ाफ़े का सच क्या है?
- क्या ट्रैफिक विभाग अपने कर्तव्य से भाग रहा है?
- और सबसे अहम – क्या धमतरी की सड़कें कभी सुरक्षित होंगी?
अब मामला सिर्फ़ ट्रैफिक का नहीं, बल्कि ज़िंदगी, मौत और इंसाफ़ का है।
जनता कह रही – बस बहुत हुआ , अब जवाब चाहिए!