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धमतरी मे खुन का खेल जारी - इंसाफ की टेबल खाली , बोलने की सजा मौत... विरोध करने पर सीना चीर दिया -क्या धमतरी अब अपराधियों की राजधानी बन गया है ?

छत्तीसगढ़ का शांत माना जाने वाला शहर धमतरी, इन दिनों अपराधों की लपटों में जल रहा है। यहां अब मामूली विवादों पर भी लोग जान लेने पर आमादा हैं। 6 जून की रात दानीटोला वार्ड में जो कुछ हुआ, वो न सिर्फ इंसानियत को झकझोर देने वाला है, बल्कि ये साबित करता है कि अब धमतरी में कानून से नहीं, चाकू की धार से फैसले हो रहे हैं।

22 वर्षीय विकास ध्रुव, जिसने बस इतना कहा कि "भाई गाली-गलौज मत करो...", बदले में उसे मिला धारदार चाकू का वार… वो भी कई बार… और ऐसा कि शरीर छलनी हो गया।


🔪 चाकुओं से भून डाला युवक को... तीन हमलावर, एक बेगुनाह लाश!

विकास अपने मोहल्ले में कुछ युवकों द्वारा की जा रही गाली-गलौज का विरोध कर रहा था। बस इतनी सी बात पर सतीश सतनामी और उसके साथ मौजूद दो नाबालिग भड़क उठे। पहले तो बहस हुई, फिर धमकी, और फिर शुरू हुआ खून का खेल…

तीनों ने मिलकर विकास को घेर लिया और धारदार हथियार से उसके शरीर पर ताबड़तोड़ वार किए। वो सड़क पर गिरा, तड़पता रहा, चीखता रहा, लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया।

इलाज के लिए रायपुर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां विकास की सांसे थम गईं।


🚨 कानून सो रहा, अपराधी दौड़ रहे!

घटना के बाद मृतक की मां की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया, आरोपियों को पकड़ा भी गया… मगर अब लोगों की आंखों में सिर्फ सवाल हैं — इंसाफ़ कब मिलेगा? क्या यही होगा हर विरोध करने वाले का अंजाम?

धमतरी शहर में पिछले कुछ समय से लगातार:

  • लूटपाट
  • चोरी
  • नशे की तस्करी
  • और अब खुलेआम हत्या

जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। और दुखद ये है कि पुलिस का रवैया अब भी सुस्त ही बना हुआ है।


"अब डर लगता है..." — दानीटोला में सन्नाटा

इस घटना के बाद मोहल्ले में खामोशी पसरी है। लोगों का कहना है कि अब बच्चों को शाम के बाद बाहर भेजने में डर लगता है।

शहरवासी कह रहे हैं:
 “धमतरी अब वो शहर नहीं रहा, जहां रात में चैन से टहल सकें।”
 “अब लगता है हर गली में कोई घात लगाए बैठा है…”


🛑 क्या प्रशासन जागेगा? या अगली लाश का इंतज़ार करेगा?

धमतरी की जनता अब सवाल पूछ रही है:

  • अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं?
  • पुलिस सिर्फ एफआईआर की मशीन क्यों बन गई है?
  • नाबालिग अपराधियों के लिए कोई सख्त कानून कब आएगा?

यह कोई फिल्मी कहानी नहीं...
यह विकास की अधूरी ज़िंदगी की सच्ची और दर्दनाक दास्तान है।
और तब तक धमतरी में खौफ का माहौल रहेगा,
जब तक सज़ा नहीं, इंसाफ़ नहीं मिलता।



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