शहर में शुक्रवार को उस वक़्त माहौल गर्म हो गया जब युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ कांग्रेस कमेटी ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया। ब्लॉक एजुकेशन ऑफिस (बीओ) का घेराव करने पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के लगाए बैरिकेड्स तोड़ते हुए ज़ोरदार नारेबाज़ी की और भीतर तक पहुँचने की कोशिश की।
प्रदर्शन में स्थानीय विधायक, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, युवा मोर्चा, महिला कार्यकर्ता और कई सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी तादाद में शामिल हुए। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात था, लेकिन भीड़ का जोश देखते ही बनता था।
क्या है मामला?
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार युक्तियुक्तकरण के नाम पर सरकारी स्कूलों को धीरे-धीरे बंद करने की योजना बना रही है, जिससे प्राइवेट स्कूल्स को बेवजह बढ़ावा मिल रहा है।
"ये सिर्फ़ शिक्षकों की पोस्टिंग या ट्रांसफर का मामला नहीं है... ये हमारे बच्चों के तालीम का सवाल है," – एक प्रदर्शनकारी ने कहा।
कांग्रेस का आरोप – ‘शिक्षा के नाम पर निजीकरण की साज़िश’
कांग्रेस नेताओं ने साफ़ शब्दों में कहा कि ये नीति ग़रीब और ग्रामीण बच्चों के तालीमी हक़ पर सीधा हमला है।
"अगर सरकारी स्कूल ही नहीं बचेंगे तो आम आदमी अपने बच्चों को कहाँ पढ़ाएगा? क्या सब कुछ सिर्फ़ अमीरों के लिए हो रहा है?" — विधायक ने गुस्से में कहा।
प्रशासन मौन, सवाल गहराए
विरोध के बीच प्रशासन ने अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। लेकिन जिला शिक्षा विभाग की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या वाक़ई ये कोई बड़ी योजना है सरकारी तालीम को धीरे-धीरे बंद करने की?
क्या आगे होगा आंदोलन तेज?
कांग्रेस कमेटी ने चेतावनी दी है कि यदि इस योजना को वापस नहीं लिया गया तो ज़िला स्तर पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।
"अब ये सिर्फ धमतरी का मामला नहीं, पूरे प्रदेश के बच्चों का भविष्य दांव पर है," — कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा।
यह प्रदर्शन कहीं आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा राजनीतिक मुद्दा न बन जाए — ऐसा माहौल बनता नज़र आ रहा है।