धमतरी/EXCLUSIVE
धमतरी ज़िले में स्कूल अब शिक्षा के मंदिर नहीं, आंदोलन और नाराज़गी की जमीन बनते जा रहे हैं! मुश्किल से एक महीना हुआ है स्कूल खुले, लेकिन दर्जनों शालाओं में ताले जड़ दिए गए – और वो भी बच्चों के सामने! तालाबंदी का ये नया ‘ट्रेंड’ अब सीधे बच्चों की शिक्षा पर चोट कर रहा है। पढ़ाई छोड़ो, अब स्कूल के गेट पर ताला, भीड़ और नारेबाज़ी दिखना आम हो गया है।
आज की दो घटनाएं ने फिर से झकझोर कर रख दिया:
सांकरा माध्यमिक शाला: यहां प्रधानपाठक को हटाने की मांग को लेकर ग्रामीणों और शाला प्रबंधन समिति ने स्कूल को ताला लगा दिया।
दुगली प्राथमिक स्कूल: यहां शिक्षकों की कमी बताकर गुस्साए ग्रामीणों ने बच्चों को स्कूल के बाहर रोका और स्कूल गेट पर ताला ठोंक दिया।
अब सवाल है –
जब जिसका मन हो वो स्कूल में ताला लगा दे, ये कब तक चलेगा?
क्या स्कूल किसी की निजी मिल्कियत है? क्या बच्चे सिर्फ दिखाने के लिए हैं?
सबसे शर्मनाक बात – प्रशासन मूकदर्शक!
न नियमों का पालन, न कार्रवाई। शिकायतों की व्यवस्था है, प्रक्रिया है, लेकिन लोग सीधे स्कूल बंद कर रहे हैं और अफसर सिर्फ नोटशीट में उलझे हैं।
बड़ी चिंता की बात –
इन प्रदर्शनों की सबसे बड़ी कीमत मासूम बच्चे चुका रहे हैं। उनके सपने, उनका भविष्य, उनका हक – सब ताले के पीछे कैद हो रहा है। अगर अब भी प्रशासन ने एक्शन नहीं लिया… तो ये तालाबंदी कल पूरे समाज को शिक्षा से काट देगी।
ताले तो गेट पर लगे हैं, पर असल में बंद हो रही है – बच्चों की ज़िंदगी!