जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठकें अब मज़ाक बनती जा रही हैं। 17, 23 और 28 जुलाई को बुलाई गई बैठकें लगातार रद्द, वजह — अंदरूनी घमासान और भाजपा के सदस्यों की नाराज़गी। अरुण सार्वा के अध्यक्ष बनते ही शुरू हुई तकरार अब खुलकर सामने है। 8 भाजपा सदस्यों का बहिष्कार, कोरम अधूरा — और नतीजा: विकास रुक गया, योजनाएं अटक गईं, जनता भुगत रही।
टूटी सड़कें, सूखे नल, ठप योजनाएं — जिम्मेदार कौन?
गांवों की गलियों में कीचड़ है, पाइपलाइन अधूरी पड़ी है, स्कूल-हॉस्पिटल की हालत बदतर, लेकिन नेता मीटिंग में नहीं आ रहे।
क्या ज़िम्मेदारी अब राजनीति से भी कमजोर हो चुकी है?
आज हो रही है 'गुप्त बैठक' — असंतुष्टों को मनाने की कोशिश
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज जिला मुख्यालय में एक 'गुप्त बैठक' की जा रही है, जहां नाराज़ सदस्यों को मनाने की रणनीति पर चर्चा हो रही है।
क्या यह सुलह होगी सच्ची, या फिर महज़ दिखावा?
जनपद में भी चुपचाप खौल रहा असंतोष
सिर्फ जिला पंचायत ही नहीं, जनपद पंचायत में भी कुछ सदस्य विरोध की मुद्रा में हैं, जो जल्द ही एक बड़े विस्फोट में बदल सकता है।
वहीं नगर निगम में साफ-सुथरी चाल — जनता के साथ महापौर
नगर निगम में महापौर रामू रोहरा की “खाऊंगा ना खाने दूंगा” नीति का असर साफ दिख रहा है।
जनता का भरोसा उनके साथ है, और यही वजह है कि वहां कोई सियासी नाटक नहीं — सिर्फ़ काम।