धमतरी शहर की गलियों में फैली कीचड़ और अधूरी खुदाई अब सिर्फ परेशानी नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और जिम्मेदारों की खामोशी का बड़ा सवाल बन चुकी है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) योजना के नाम पर धमतरी की ज़मीन खोदी तो गई, लेकिन अब तक ना समतलीकरण हुआ, ना मिट्टी भरी गई, और बरसात ने हर गड्ढे को मौत का जाल बना दिया।
"ठेकेदार मनमानी करता गया, अफसर देखते रह गए… लेकिन सबसे हैरानी की बात — विपक्ष ने भी ज़ुबान नहीं खोली!"
जनता का कहना है —
- क्या ठेकेदार को पूरी छूट दे दी गई है?
- क्या अफसरों की खामोशी किसी दबाव या समझौते की तरफ इशारा कर रही है?
- और क्या विपक्ष भी सिर्फ़ तमाशा देख रहा है?
अब हालात बद से बदतर:
- हटकेशर, सुभाष नगर, शीतलापारा में गलियां जलमग्न
- बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल
- बाइक सवार फिसलकर रोज घायल
- गंदे पानी में मच्छरों का अड्डा, बीमारियां बढ़ रहीं
- मोबाइल क्लिनिक यूनिट का कहीं अता-पता नहीं
पर जनप्रतिनिधि चुप क्यों?
विपक्ष को जनता की आवाज़ बनना चाहिए था, लेकिन आज वही आवाज़ कहीं खो गई है।
ना कोई धरना, ना सवाल, ना जांच की मांग — क्या ये चुप्पी किसी सियासी मजबूरी का हिस्सा है?
धमतरी की सड़कों पर बह रहा पानी नहीं — जनता का सब्र बह रहा है।
अब ज़रूरत है कि:
- ठेकेदार की मनमानी पर लगाम लगे
- अफसर जवाब दें
- और विपक्ष सवाल करे, खड़ा हो जनता के साथ
क्योंकि अगर सवाल नहीं पूछे गए — तो ये खामोशी भी आने वाले दिनों में जवाबदेही से नहीं बच पाएगी।
धमतरी पूछ रहा है — आखिर कब तक सहेंगे ये खामोश साजिश?