Breaking News

सिस्टम हुआ डिजिटल.... पर ऋण पुस्तिका पर थमी उम्मीदें

कागज़ात ऑनलाइन उड़ने लगे, नामांतरण मिनटों में होने लगे... मगर खरीदार की उम्मीदें अब भी ऋण पुस्तिका पर आकर थम जाती हैं।

शासन की नई व्यवस्था ने ज़मीन खरीदारों को राहत की सांस दी है..... अब रजिस्ट्री के तुरंत बाद ऑनलाइन नामांतरण महज़ कुछ मिनटों में पूरा हो जाता है...... तहसील और पटवारी के चक्कर काटने से मुक्ति मिल चुकी है...... खरीदारों को लगा कि अब उनके दिन बदल गए, अब सरकारी दफ्तरों की लंबी कतारें और दौड़भाग अतीत बन जाएँगी...... लेकिन... जैसे ही बात ऋण पुस्तिका तक पहुँचती है, पूरा सिस्टम अचानक पुराने ढर्रे पर लौट आता है.... आज भी ऋण पुस्तिका तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह मैनुअल है...... इसके लिए न तो कोई ऑनलाइन व्यवस्था है और न ही कोई स्पष्ट गाइडलाइन..... वही नई व्यवस्था में पटवारी और तहसीलदार की भूमिका रजिस्ट्री और नामांतरण से पूरी तरह समाप्त हो गई है..... लिहाज़ा ऋण पुस्तिका जारी करने के मामले में वे अपनी कलम फंसाना नहीं चाहते..... दो विभागों के बीच तालमेल का अभाव इस समस्या को और गहरा कर रहा है...... नतीजा यह है कि खरीदार को नामांतरण तो मिनटों में मिल जाता है, मगर ऋण पुस्तिका के लिए फिर वही पुरानी भागदौड़ और बेचैनी झेलनी पड़ती है।

लोगों का कहना है—

जब सबकुछ ऑनलाइन हो गया, तो फिर ऋण पुस्तिका क्यों अधर में है? क्या डिजिटल इंडिया की यह क्रांति अधूरी रह जाएगी... या फिर उम्मीदों की यह थमी हुई कलम दोबारा चलेगी?

Show comments
Hide comments
Cancel