धमतरी शहर के दिल से गुज़रने वाली नेशनल हाईवे 30 की सड़क को लगभग 16 करोड़ रुपये खर्च करके दोबारा बनाया गया था। ये सड़क, जो रायपुर से जगदलपुर और विशाखापत्तनम तक जाने वाले भारी वाहनों का अहम रास्ता है, महज़ 10 महीने में जगह-जगह से टूटने और धंसने लगी है।
अब जनता पूछ रही है –
➡️ क्या वाकई में इतना पैसा सही जगह लगा?
➡️ क्या घटिया मटेरियल का इस्तेमाल हुआ?
➡️ अफसर और ठेकेदार ने किस आधार पर काम को पास किया?
“अफसर-ठेकेदार दोनों ने धोया हाथ – जिम्मेदार कौन?”
जब सड़क टूटने लगी, तो अफसर और ठेकेदार दोनों भारत माला परियोजना की गाड़ियों को ज़िम्मेदार ठहराने लगे। लेकिन लोगों का सवाल बिल्कुल सीधा है –
"जब इस रूट पर दशकों से भारी वाहन चलते रहे हैं, तो ये बात निर्माण के वक़्त क्यों नहीं सोची गई?"
"ठेकेदार को 5 साल देखरेख करनी थी – अब कहां है वो?"
सड़क बनाने वाले ठेकेदार को 5 साल तक इसकी देखभाल की जिम्मेदारी दी गई थी।
फिर अब सड़क के खराब होने पर वो क्यों गायब है?
ना कोई मरम्मत हो रही है, ना कोई कार्रवाई दिख रही है।
“अवाम में उबाल – सख़्त कार्रवाई की मांग”
धमतरी की जनता अब खुल कर सवाल पूछ रही है –
🛑 क्या करोड़ों की रकम को सिर्फ़ कागज़ों पर उड़ाया गया?
🛑 क्या ये भ्रष्टाचार का मामला है?
🛑 क्यों अब तक किसी अफसर या ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं हुई?
लोगों का ग़ुस्सा फूट पड़ा है, उनका कहना है कि अगर अब कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
"हमें जवाब चाहिए – सड़क बनी या घोटाला हुआ?"
यह सवाल अब धमतरी की हर गली से उठ रहा है।