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"मौत आई परों पर सवार..." — मधुमक्खियों का हमला बना ज़िंदगी की आख़िरी कहानी

 

मुरली चांवला बनियापारा का रहने वाला एक जवान अपनी रोज़मर्रा की तरह ज़िंदगी जी रहा था, लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसकी शाम कभी न ख़त्म होने वाली रात में बदल जाएगी। मंगलवार की शाम, अमलतास पुरम के पास जैसे ही वो पहुंचा, अचानक आसमान में परों की गूंज उठी — मधुमक्खियों का झुंड उसकी तरफ़ झपट पड़ा।

कुछ ही लम्हों में सैकड़ों डंक उसके जिस्म को चीरते हुए अंदर तक उतर गए। लोगों ने चीखें सुनीं, पर जब तक कोई मदद को पहुंचता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। युवक की साँसों ने वहीं साथ छोड़ दिया — ज़िंदगी और मौत के इस संग्राम में कुदरत की ताक़त भारी पड़ गई।

कोतवाली थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। शुरुआती तफ्तीश में पता चला कि मधुमक्खियों का छत्ता क़रीब ही था, शायद किसी हलचल से परेशान होकर उन्होंने हमला कर दिया। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है

अब हर कोई बस एक ही सवाल कर रहा है — "क्या मौत इसी तरह बेआवाज़ भी आ सकती है?"

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