एक गायन कार्यक्रम रखिए… इन्हे बुलाइए!
जब कुरूद विधायक अजय चंद्राकर ने यह बात मंच से कही और गृह मंत्री ने मुस्कुराकर तथास्तु! कह दिया, तो मंच पर बैठे नेता हों या सामने खड़ी जनता — हर चेहरा हँसी से खिल उठा..... मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी कहां पीछे रहने वाले थे — बोले, कोई पैसा नहीं लगेगा!
बस, फिर क्या था — करेली बड़ी का मंच एक पल के लिए सरकारी कार्यक्रम कम और सांस्कृतिक महोत्सव ज़्यादा लगने लगा..... और यहीं से शुरू होती है विकास की असली कहानी।
जहाँ मुस्कराहट से शुरू हुआ मंच, वहाँ योजनाओं की बरसात भी हुई
मंगलवार को करेली बड़ी ने जो दृश्य देखा, वह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इतिहास में एक नया अध्याय था।
245 करोड़ रुपये की लागत से 77 विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास — यह कोई छोटी बात नहीं थी। लेकिन इस कार्यक्रम को खास बना दिया उसकी सरलता, सहजता और आत्मीयता ने।
महतारी सदन - मातृत्व से नेतृत्व तक की यात्रा
कार्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण सौगात रही —
51 महतारी सदन भवनों का लोकार्पण।
ये भवन अब सिर्फ़ सरकारी इमारतें नहीं होंगे, बल्कि यहां बैठेंगी गांव की महिलाएं, करेंगी निर्णय, सीखेंगी हुनर, और बनेंगी समाज की अगली पंक्ति की नेता..... और जब इन दीदियों को 3 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई, तो यह साफ़ हुआ कि सरकार सिर्फ़ बातों से नहीं, काम से विश्वास दिलाना जानती है।
सादा सफर, अपनापन बरकरार
मौसम की मार और भारी उमस के बावजूद, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा हेलिकॉप्टर नहीं, सड़क मार्ग से करेली बड़ी पहुंचे और वही...
कार्यक्रम के बाद जब वे रायपुर लौट रहे तो धमतरी के मेयर रामू रोहरा को भी साथ अपनी कार में बिठाकर ले गए..... नेतृत्व में यह सादगी और अपने लोगों के लिए ये आत्मीयता — यही बनाती है एक जनप्रिय छवि।
युवाओं को मिली उड़ान की नई दिशा
- आईटीआई, पॉलीटेक्निक, लाइवलीहुड कॉलेज,
- कृषि महाविद्यालय और हॉस्टल,
- गंगरेल में साइंस पार्क —
ये सभी योजनाएं यह बताती हैं कि सरकार का लक्ष्य है गांव में ही रोज़गार, गांव में ही सम्मान।
पानी, सड़क, सिंचाई — ज़मीन से जुड़ी ज़रूरतों पर सीधी चोट
- 39 पेयजल परियोजनाएं – 30 करोड़ की लागत
- खट्टी एनीकट मरम्मत – 5 करोड़
- गौरव पथ, सड़क निर्माण के 9 बड़े काम – 119 करोड़ से ज़्यादा
- सूक्ष्म सिंचाई योजना और नहरों पर काम
यह सब दर्शाता है कि विकास अब कागज़ से निकलकर खेत और खलिहान तक पहुंच रहा है।
मंच पर अपनापन, जनता से आत्मीयता — राजनीति का नया रूप
इस आयोजन की सबसे गहरी छाप छोड़ी विनोद और व्यवहार की सादगी ने..... नेता और मंत्री मंच पर आम लोगों की तरह बातें कर रहे थे, हँस रहे थे, और खुले मन से एक-दूसरे से संवाद कर रहे थे....
यही तो चाहिए — जनता की सरकार, जनता के बीच, जनता की भाषा में।
करेली बड़ी बना वह गांव, जिसकी ओर अब प्रदेश देखेगा
आज करेली बड़ी केवल अपने नाम के लिए बड़ा नहीं, बल्कि विकास की सोच और नीति के लिए भी एक प्रेरणा बन गया है..…. जहाँ से उठी हंसी की आवाज़ें, वहीं गूंजे भविष्य के वादों की घोषणाएं..... जहाँ शुरू हुआ अपनापन, वहीं से खुला आशाओं का दरवाज़ा।
अब ज़रूरत इस बात की है कि...
इस मॉडल को बाकी गांवों में दोहराया जाए,
घोषणाएं सिर्फ़ भाषणों तक न रहें, ज़मीन पर उतरें,
और राजनीति में सिर्फ़ बहस नहीं, हंसी और भरोसे की जगह भी हो।




