पानी की एक-एक बूँद अब अनमोल होती जा रही है। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में जलसंकट की आहट तेज़ हो गई है। और इसकी सबसे बड़ी मिसाल है मुरुमसिल्ली बाँध — जो सिर्फ धमतरी ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया में अपनी तकनीकी बनावट के लिए जाना जाता है। यह एशिया का इकलौता सायफन सिस्टम बाँध है, लेकिन आज यह बाँध सिर्फ 1% पानी पर खड़ा है।
सायफन सिस्टम की खासियत, लेकिन अब सूखा सा मंज़र
मुरुमसिल्ली बाँध को 1930 के दशक में बनाया गया था और इसकी सबसे ख़ास बात है इसका सायफन ओवरफ्लो सिस्टम, जो बिना किसी गेट के पानी को नियंत्रित करता है। इस तकनीक को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं, लेकिन आज वही बाँध सूखते जलस्तर की वजह से सुर्खियों में है।
गंगरेल का बैकअप, अब खुद बेहाल
यह बाँध आमतौर पर गंगरेल डैम को सपोर्ट देने वाला 'बैकअप जल स्रोत' होता है, मगर अब खुद मदद की हालत में नहीं है। प्रशासनिक रिकॉर्ड के मुताबिक, बाँध में सिर्फ 1 प्रतिशत पानी बचा है।
"अगर बारिश वक़्त पर नहीं आई, तो हालात हो सकते हैं बेकाबू"
जल संसाधन विभाग से जुड़े अफसरों का कहना है कि अगर मानसून देरी से आता है, तो न सिर्फ पीने का पानी, बल्कि खेती, पशुपालन और बिजली व्यवस्था तक पर असर पड़ेगा।
गाँवों में बेचैनी, किसानों की दुआएँ
स्थानीय किसान शकील भाई कहते हैं, "ये तो हमारे लिए जान का सवाल है। मुरुमसिल्ली के बिना हमारी खेती अधूरी है। अब ऊपर वाले से ही उम्मीद है।" वहीं गाँव की एक महिला किसान मीरा बाई कहती हैं, "पानी नहीं तो कुछ नहीं। हम रोज़ आकाश की तरफ़ देख रहे हैं।"
प्रशासन ने की अपील: हर बूँद बचाइए
जिला कलेक्टर ने सभी नागरिकों से अपील की है कि पानी का सोच-समझकर उपयोग करें। जल संरक्षण अब केवल विकल्प नहीं, ज़रूरत है।
क्या मानसून देगा राहत?
अब सवाल यही है कि क्या मानसून समय पर आएगा और इस एतिहासिक बाँध को फिर से ज़िंदा करेगा? या फिर धमतरी को इस बार इतिहास का सबसे गंभीर जल संकट झेलना पड़ेगा?
जब सायफन सिस्टम भी ख़ामोश हो जाए, तो वाक़ई हालात गंभीर होते हैं।
अगले कुछ हफ्ते — धमतरी की तक़दीर तय करेंगे।