धमतरी जिले के अरसीकंहार रेंज के घने जंगलों में पिछले 8 दिनों से एक बाघ (टाइगर) की हलचल ने सनसनी मचा दी है। बाघ के पगचिह्न संदबाहरा के जंगलों में देखे गए, जिसके बाद वन विभाग हरकत में आया।
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन की अगुवाई में टीम ने प्लास्टर मॉड से जांच की और पुष्टि की कि बाघ ने वाकई में इलाक़े में दस्तक दी है।
वन विभाग ने फ़ौरन एक्शन लेते हुए जंगल में 100 से ज़्यादा ट्रैप कैमरे लगाए ताकि बाघ की हर मूवमेंट पर नज़र रखी जा सके।
दो दिन पहले, अरसीकंहार रेंज के एक गांव में बाघ ने एक मवेशी को अपना शिकार बना लिया। उसी जगह कैमरा लगाया गया और 24 मई की रात 8:37 बजे कैमरे में बाघ की पहली, शानदार और साफ़ तस्वीर क़ैद हो गई।
अगले दिन 25 मई की शाम, वही बाघ वापस आया और फिर से कैमरे में उसकी वीडियो रिकॉर्ड हो गई।
ढाई साल बाद सीतानदी टाइगर रिजर्व में बाघ की वापसी हुई है — और ये वन विभाग के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है।
डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन ने खुद पुष्टि की है कि तस्वीरों में क़ैद हुआ बाघ, रिजर्व में वापस लौट आया है।
अब बाक़ी कैमरों की भी जांच की जाएगी और विभाग निगरानी और सुरक्षा और ज़्यादा कड़ी करेगा। जंगल के अंदर जो गांव बसे हैं, वहां अलर्ट जारी किया गया है और बाघ की पहचान की तस्वीर वाइल्डलाइफ़ इंस्टिट्यूट को भेजी जाएगी।
इस बड़ी कामयाबी के पीछे वरुण जैन की मेहनत है — जिन्होंने 700 हेक्टेयर ज़मीन को अवैध कब्ज़े से छुड़ाया, और ओडिशा व छत्तीसगढ़ में करीब 200 शिकारियों को गिरफ़्तार करवाया।
1974 में अभयारण्य बना ये इलाक़ा, 2009 में टाइगर रिज़र्व बना।
1996 से 2006 के बीच यहां 10-12 बाघ थे,
2014 में घटकर सिर्फ़ 3 बचे,
और 2022 तक एकमात्र बाघ ही बचा था।
अब ढाई साल बाद फिर से बाघ की वापसी हुई है, और उसके दहाड़ ने एक नई उम्मीद जगा दी है।
रात में गश्त तेज कर दी गई है, और हर हरकत पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।