शिक्षा के अधिकार और युक्तियुक्तकरण की दुहाई देने वाले सिस्टम की पोल एक बार फिर खुल गई — इस बार बेंद्रानवागाँव स्कूल में। यहां ग्रामीणों और छात्रों ने मिलकर स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। यह कोई क्षणिक नाराज़गी नहीं, बल्कि तीन घंटे से ज्यादा समय से चल रहा आंदोलन है, जिसके पीछे है शिक्षा विभाग की लापरवाही और चुप्पी। दरअसल, विद्यालय के प्रधान पाठक को अचानक स्कूल से हटाकर समग्र शिक्षा अभियान में अटैच कर दिया गया, जिससे स्कूल की संचालन व्यवस्था चरमरा गई। इधर, प्राथमिक शाला महज दो शिक्षकों के भरोसे चल रही है, जो बच्चों की संख्या और कक्षाओं के हिसाब से बेहद कम हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इतनी कम स्टाफिंग से बच्चों को पढ़ाना मज़ाक बन गया है।
ग्रामीणों और छात्रों का साफ़ कहना है —
जब तक हमारे प्रधान पाठक को स्कूल वापस नहीं भेजा जाएगा और प्राथमिक शाला के लिए पर्याप्त शिक्षक नियुक्त नहीं किए जाएंगे, ताला नहीं खुलेगा।
इस तालाबंदी ने शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसरों की नींद उड़ा दी है, लेकिन फिर भी मौके पर अब तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। तीन घंटे बीत चुके हैं, लेकिन विभागीय प्रतिनिधियों की ओर से न तो कोई समझाइश आई है और न ही समाधान का कोई संकेत।
गांव वालों की एक ही आवाज़ —
हमारे बच्चों का भविष्य यूं सिस्टम की बेरुख़ी में नहीं झोंका जा सकता। अगर अब भी हमारी बात नहीं सुनी गई, तो आंदोलन और उग्र होगा।
अब सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग इस बार नींद से जागेगा या फिर ये ताले भविष्य की चाबी छीन लेंगे?