आज की रात आसमान पर चंद्र ग्रहण अपनी स्याह परछाईं बिखेरेगा...... इसी के चलते कुछ ही घंटो मे भक्ति और रौनक के बीच सन्नाटा उतरने वाला है..... शास्त्रों के मुताबिक, ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल की शुरुआत हो जाती है...... लिहाज़ा दोपहर 12:57 बजे से ही शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी और मंदिरों के पट भी बंद हो जाएंगे...... गणपति उत्सव की धूम-धाम और मंगलमय माहौल पर ग्रहण का असर पड़ना, श्रद्धालुओं के दिलों को भारी कर रहा है...... गणपति बप्पा का विसर्जन जो हर साल धूम और गीतों के बीच होता है, इस बार ग्रहण की छाया में सिमटा-सिमटा लगेगा...... भक्तों के चेहरे पर एक ओर बप्पा को विदा करने का दर्द, तो दूसरी ओर आसमान पर मंडराती छाया का खौफ साफ़ झलक रहा है।
सूतक का असर
- आज दोपहर 12:57 बजे से सूतक शुरू
- पूजा-पाठ, शुभ कार्य, नए काम वर्जित रहेंगे
- मंदिरों के दरवाज़े बंद कर दिये जाएंगे
- 8 सितंबर की भोर (ब्रह्ममुहूर्त) में फिर से मंदिर खुलेंगे और देवदर्शन होंगे
चाँद की परछाईं और दिल की बेचैनी
आज रात जब घड़ी नौ बजकर सत्तावन मिनट बजाएगी, तब ग्रहण का असली दौर शुरू होगा...... धीरे-धीरे चाँद की रोशनी धुंधलाने लगेगी, और रात 11 बजे से लेकर अगले दिन 12:22 बजे तक पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा..... लोगों की निगाहें आसमान पर होंगी, लेकिन दिलों में एक अजीब-सा खामोश डर और श्रद्धा का संगम होगा।
भक्ति और आस्था की कसौटी
गणपति विसर्जन, जो अपने आप में उमंग और जश्न का पर्व है, इस बार ग्रहण की स्याही से ढक जाएगा..... श्रद्धालु मानते हैं कि "ग्रहण सिर्फ़ आसमान पर नहीं, बल्कि दिलों पर भी छाया डाल देता है।"..... इसलिए भक्तों ने ठान लिया है कि विसर्जन तो होगा, लेकिन ग्रहण के नियमों के दायरे में रहकर।
उम्मीद की किरण
रात का यह सन्नाटा और ग्रहण की परछाईं भले ही मन को बेचैन करे, मगर शास्त्र कहते हैं —
"हर ग्रहण का अंत, नई रोशनी की शुरुआत है।"
8 सितंबर की भोर, जब मंदिरों के पट दोबारा खुलेंगे, घंटियों की गूंज और मंत्रों की ध्वनि, भक्तों के दिलों में नई ऊर्जा और उम्मीद भर देगी।







