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"निरई माता: पांच घंटे के लिए खुलता है दरबार, आस्था का अद्भुत केंद्र"




माता निरई देवी का अद्भुत दरबार

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में, मगरलोड के घने जंगलों के बीच पहाड़ी पर स्थित माँ निरई माता का दरबार भक्तों की आस्था का केंद्र है। यहां साल में सिर्फ एक दिन—चैत्र नवरात्र के पहले रविवार को—माता के द्वार खुलते हैं। भक्त मानते हैं कि इस दिन माता की ज्योत खुद-ब-खुद जल उठती है। चारों तरफ हरियाली, पहाड़, और सोंढूल और पैरी नदी के संगम के किनारे स्थित यह मंदिर प्रकृति की गोद में बसा है।



महिलाओं का प्रवेश वर्जित, श्रद्धा की अनोखी परंपरा

इस मंदिर की एक अनोखी परंपरा यह भी है कि महिलाएं यहां प्रवेश नहीं कर सकतीं। मान्यता के अनुसार, वर्षों पहले माँ निरई माता ने खुद यह इच्छा जताई थी कि कोई भी महिला उन्हें न देखे। यहां तक कि इस मंदिर का प्रसाद भी महिलाओं के लिए वर्जित है। कहा जाता है कि अगर कोई महिला गलती से प्रसाद खा ले तो कोई अनहोनी घटना हो सकती है।



पांच घंटे के लिए खुलता है मंदिर का द्वार

जहां देशभर के मंदिरों में पूरे दिन दर्शन किए जा सकते हैं, वहीं माँ निरई माता का दरबार सिर्फ 5 घंटे के लिए खुलता है। सुबह 4 बजे से 9 बजे तक भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं। इस दौरान हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मन्नतें मांगते हैं। इस मंदिर में बेल्ट, लाल कपड़ा, तिलक, सिंदूर, सुहाग, कुमकुम, गुलाल, बंधन आदि चढ़ाने की मनाही है। भक्त सिर्फ नारियल, अगरबत्ती और दीया जलाकर माता को प्रसन्न करते हैं।



नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी नहीं रुकती आस्था

छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में माओवादियों का खौफ है, लेकिन माता की शक्ति और आस्था के आगे ये सब बेमानी लगता है। श्रद्धालु बिना किसी डर के इस बीहड़ इलाके में माता के दर्शन करने आते हैं। भक्तों का मानना है कि माँ निरई माता की कृपा से कोई भी संकट उनका रास्ता नहीं रोक सकता। इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है, और आज भी यहां भक्तों का उमड़ता सैलाब इस आस्था की गवाही देता है।

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