धमतरी, जो कभी शांति और भाईचारे की मिसाल हुआ करता था, आज अपराधों का अड्डा बनता जा रहा है। हर रोज़ चोरी, लूटपाट, मारपीट और कत्ल की घटनाएं सामने आ रही हैं। शहर की गलियों में डर और बेचैनी का माहौल है। सवाल उठता है कि आख़िर इन वारदातों के लिए ज़िम्मेदार कौन है? प्रशासन, पुलिस, सरकार या फिर समाज ख़ुद ?
बढ़ते अपराध की खौफनाक तस्वीर
धमतरी में बीते कुछ महीनों में अपराध का ग्राफ़ तेज़ी से बढ़ा है। खुलेआम लूटपाट हो रही है, दुकानों में चोरी आम बात हो गई है, और हत्याएं भी अब कोई नई बात नहीं रह गईं। हाल ही में कुछ ऐसी वारदातें हुई हैं, जिनमें अपराधियों ने निडर होकर घटनाओं को अंजाम दिया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, शहर में पिछले तीन महीनों में अपराध के मामलों में 40% तक बढ़ोतरी हुई है। ये आंकड़े बेहद गंभीर हैं और बताते हैं कि अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हो चुके हैं।
इस बढ़ते अपराध के बावजूद प्रशासन की सुस्ती साफ दिखाई दे रही है। आमतौर पर जब किसी शहर में अपराध बढ़ता है, तो पुलिस और प्रशासनिक अफसर इसकी रोकथाम के लिए रणनीति बनाते हैं। लेकिन धमतरी में हालात इसके बिल्कुल उलट हैं। अफसरों की तरफ से न तो किसी उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया और न ही क्राइम कंट्रोल के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए।
शहर के लोगों का कहना है कि अफसर केवल आंकड़ों की रिपोर्ट तैयार करने तक सीमित हैं, जबकि ज़मीनी स्तर पर अपराध रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हो रहे। अगर इसी तरह प्रशासन सोता रहा, तो अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा, और शहर में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी।
स्थानीय लोगों का मानना है कि पुलिस की निष्क्रियता अपराधियों के हौसले बुलंद कर रही है। गश्त पहले की तरह नहीं हो रही, शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई नहीं होती, और कई मामलों में अपराधियों को सज़ा तक नहीं मिल पाती। इससे अपराधियों को कोई डर नहीं रह गया है।
नशे और बेरोजगारी की मार
शहर में अपराध बढ़ने की एक बड़ी वजह नशे का बढ़ता कारोबार भी है। युवा पीढ़ी गलत रास्ते पर जा रही है और जब पैसों की तंगी होती है, तो वे चोरी-डकैती जैसे अपराधों में शामिल हो जाते हैं। इसके अलावा, बेरोजगारी भी अपराध की दर बढ़ाने का एक अहम कारण बन रही है। जब लोगों को रोज़गार नहीं मिलता, तो वे मजबूर होकर गलत रास्ता पकड़ लेते हैं।
समाज की भी है जिम्मेदारी
अगर समाज जागरूक हो जाए, तो अपराध को कम किया जा सकता है। नागरिकों को चाहिए कि वे संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें, बच्चों को सही मार्ग दिखाएं और युवा पीढ़ी को अपराध से दूर रखने के प्रयास करें।
हल क्या है ?
इस हालात से निपटने के लिए पुलिस और प्रशासन को तुरंत गंभीर कदम उठाने होंगे। सबसे पहले अफसरों को क्राइम कंट्रोल को लेकर उच्च स्तरीय बैठक करनी चाहिए, ताकि सही रणनीति तैयार हो सके। पुलिस गश्त को बढ़ाना होगा, अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी, और कानूनी प्रक्रियाओं को तेज़ करना होगा। साथ ही, सरकार को बेरोज़गार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए, ताकि वे अपराध की दुनिया में न जाएं।
धमतरी का भविष्य तभी सुरक्षित रहेगा जब प्रशासन, पुलिस और आम जनता मिलकर इस अपराध के बढ़ते साये को रोकने के लिए एकजुट होंगे। वरना, यह शहर जल्द ही डर और अनिश्चितता का गढ़ बन जाएगा।