सियासत की गलियों से एक हैरान कर देने वाली ख़बर बाहर आ रही है। सूत्रों का कहना है कि एक सीनियर और तजुर्बाकार ख़ातून—जो कभी सरकार की अहम सीट पर थीं—अब एक मौजूदा विधायक को ‘कमीशन का इल्म’ सिखा रही हैं।
जी हां, ये कोई इल्ज़ाम नहीं बल्कि एक अंदरूनी ‘सीक्रेट मीटिंग’ में कही गई वो बात है, जिसमें उन्होंने कहा—
"जिन रास्तों से हमें हर महीने वसूली हुआ करती थी, वहीं से आप भी कुछ उठा सकते हैं। बात करके देखिए!"
इस बयान के बाद से सियासी गलियारों में सन्नाटा है, लेकिन पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है।
विधायक कौन हैं ? नाम क्यों छुपाया जा रहा है?
ये सवाल अब हर ज़बान पर है, लेकिन जवाब कहीं नहीं।
अंदरूनी बातें कहती हैं:
पूर्व विधायक पूरी सलाहियत के साथ बता रही हैं कि कौन-से रास्ते ‘मुनाफ़े’ वाले होते हैं, किस ऑफ़िस में दस्तक देने से ‘सुलह’ आसान होती है और किन अफ़सरों से ‘माहवारी फ़ायदे’ लिए जा सकते हैं – बशर्ते रिश्ता बना रहे।
इस "गाइडेंस" का अंदाज़ कुछ यूं है जैसे कोई सीनियर ‘टीचर’ अपने स्टूडेंट को ज़िंदगी का असली ‘सबक’ सिखा रही हो।
इस ख़ास 'तालीम' में शामिल हैं:
- फाइलों का सलीक़ा
- ‘सिस्टम’ से दोस्ती का तरीका
- और सबसे अहम – 'कैसे लें और कैसे बचें' का फॉर्मूला।
जब एक नुमाइंदे ने मौजूदा विधायक से इस मसले पर नज़रिया पूछा, तो जवाब में बस एक हल्की मुस्कुराहट मिली और कहा गया:
"हम सिर्फ़ सीख रहे हैं, काम करना तो अब शुरू होगा!"
क्या यह कोई मामूली बात है या पर्दे के पीछे चल रही कोई बड़ी साज़िश ?
क्या वाकई यह सियासत अब उस मोड़ पर आ चुकी है जहाँ ‘तजुर्बा’ अब ‘तालीम’ की शक्ल ले चुका है ?
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस ‘सीक्रेट क्लास’ का अगला चैप्टर भी बाहर आएगा, या सबकुछ ऐसे ही साया बनकर सियासत की दीवारों में गुम हो जाएगा ?