शहर और स्टेट हाईवे के बीच बनी दुकान, बच्चों के अस्पताल के पास, अमन-सुकून पर ख़तरा, लोगों में गुस्सा
शहर के व्यस्त मार्ग रत्नाबाँधा रोड पर स्थित शराब की दुकान अब सिर्फ एक ट्रैफिक और समाजिक मसला नहीं रही, बल्कि यह आम लोगों की ज़िंदगी और बच्चों की हिफ़ाज़त के लिए बड़ा ख़तरा बन गई है। ये दुकान न सिर्फ़ शहर और स्टेट हाइवे को जोड़ने वाले रास्ते पर है, बल्कि इसके बिल्कुल पास में बच्चों का अस्पताल भी मौजूद है, जो हालात को और परेशान करने वाला बनाता है।
बच्चो को लेकर अस्पताल पहुंचने मे मुश्किल
"मेरा बच्चा बहुत बीमार था, लेकिन शराबियों की भीड़ और सड़क के जाम की वजह से वक़्त पर अस्पताल नहीं पहुँच पाए। ये हालात बहुत ख़तरनाक हैं। क्या हुकूमत को किसी हादसे का इंतज़ार है ?"
अस्पताल का स्टाफ भी डरा-सहमा
बच्चों के अस्पताल की एक नर्स रेखा कहती हैं:
"अक्सर नशे में लोग अस्पताल के अंदर घुसने की कोशिश करते हैं। कई बार सिक्योरिटी को बुलाना पड़ता है। बच्चों के लिए ये माहौल बिल्कुल भी सेफ़ नहीं है।"
मोहल्ले के लोग और समाज सेवी संगठनों में नाराज़गी
सामाजिक कार्यकर्ता राकेश साहू का कहना है:
"ये शराब दुकान सिर्फ़ ट्रैफिक का नहीं, बच्चों की जान का भी मसला है। अगर जल्द इसे नहीं हटाया गया, तो हम लोग सड़कों पर उतरेंगे।"
प्रशासन की खामोशी पर बड़ा विरोध
स्थानीय प्रतिनिधियों और पार्षदों ने भी इस शराब दुकान को रिहायशी और अस्पताल जैसे इलाक़े से दूर ले जाने की मांग की है, मगर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
अब सवाल ये है:
क्या कोई बड़ी ट्रेजेडी होने के बाद ही प्रशासन जागेगा ?
क्या बच्चों की हिफ़ाज़त सरकार की कोई तरजीह नहीं रही ?
या फिर अब जनता को खुद सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज़ उठानी होगी ?