2 अप्रैल को "राजस्व विभाग की उलझनों में फंसे आम लोग" शीर्षक से एक्सक्लूजीव खबर मे प्रकाशित हमारी विशेष रिपोर्ट का बड़ा असर देखने को मिला है। रिपोर्ट में बताया गया था कि ज़मीन की रजिस्ट्री के बाद भी आम नागरिकों को नामांतरण के लिए महीनों तक पटवारी, राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार के चक्कर काटने पड़ते हैं। अब सरकार ने इस समस्या को संज्ञान में लेते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
अब खत्म होगी भागदौड़ और भ्रष्टाचार
सरकार ने तहसीलदारों से नामांतरण का अधिकार वापस ले लिया है। अब ज़मीन की रजिस्ट्री होते ही ऑटोमैटिक रूप से क्रेता के नाम पर नामांतरण हो जाएगा। इससे आम लोगों को बार-बार अधिकारियों के पास नहीं जाना पड़ेगा, और भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी खत्म होंगी।
डिजिटल व्यवस्था से बढ़ेगी पारदर्शिता
यह नई व्यवस्था डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन, पारदर्शी और तेज़ हो जाएगी। नागरिकों को ज़मीन से जुड़ी जानकारी समय पर और स्पष्ट रूप में मिलेगी।
जनता को राहत, व्यवस्था में आएगा सुधार
सरकार के इस फैसले से हजारों ज़मीन खरीदारों को राहत मिलेगी। यह कदम न सिर्फ जनता की परेशानी को कम करेगा, बल्कि राजस्व विभाग की कार्यशैली में भी जरूरी सुधार लेकर आएगा। अब आम लोगों का भरोसा बढ़ेगा और व्यवस्था पर उनकी पकड़ मजबूत होगी।