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जब सवालों की बौछार हो रही थी... उस वक़्त एक अफ़सर क्या कर रही थीं?

नगर निगम धमतरी की बजट बैठक में इस बार कुछ अलग ही नज़ारा देखने को मिला। बजट पेश होने से पहले लगभग एक घंटे का प्रश्नकाल आयोजित किया गया, जहाँ पार्षदगण अपने-अपने वार्डों की समस्याओं, ज़रूरतों और विकास से जुड़े मुद्दों को लेकर पूरी संजीदगी और ज़िम्मेदारी के साथ चर्चा कर रहे थे।

हर पार्षद अपने क्षेत्र की जनता की आवाज़ बनकर सामने आया था—कहीं सीवरेज की दिक्कत, कहीं जल निकासी की समस्या, तो कहीं सड़क और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं की बात उठाई जा रही थी। माहौल गंभीर था, उम्मीदें ज़िंदा थीं।

लेकिन इसी बीच एक हैरान कर देने वाला वाक़या सबकी नज़रों से छुपा नहीं रह सका। निगम की ज़िम्मेदार अधिकारी, असिस्टेंट इंजीनियर (AE) प्रकृति जगताप, जो कि इन मसलों की तकनीकी दिशा में अहम किरदार निभाती हैं—वो बैठक के दौरान मोबाइल पर फिल्म या वीडियो देखने में मशग़ूल नज़र आईं।

जहाँ एक तरफ वार्ड के प्रतिनिधि जूझते मसलों को लेकर चिंतित थे, वहीं दूसरी ओर एक जिम्मेदार अफ़सर का ऐसा रवैया न केवल गैर-पेशेवर था, बल्कि सवाल भी खड़े करता है—क्या आम जनता की परेशानियां और विकास की योजनाएं वाक़ई कुछ अधिकारियों के लिए मायने रखती हैं?

इस घटना ने न सिर्फ बैठक की गंभीरता पर सवाल खड़े किए, बल्कि सरकारी कामकाज में लापरवाही के उस चेहरे को भी सामने लाया, जो अक्सर पर्दे के पीछे रह जाता है।


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