धमतरी नगर निगम से जुड़ा एक बड़ा सवाल अब हर गली, हर चौराहे पर गूंज रहा है —
"सड़क तो बन गई, लेकिन गारंटी कहाँ गई?"
बात हो रही है बिटी सड़क निर्माण की, जिसकी मरम्मत और देखरेख की जिम्मेदारी ठेकेदार पर पांच साल तक तय होती है। मगर हक़ीक़त यह है कि सड़कें चंद महीनों में ही टूटने लगीं और नगर निगम के अधिकारी बेखबर बने बैठे हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक न तो किसी ठेकेदार को नोटिस दिया गया, और न ही किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई हुई। सवाल यह है कि जब सड़कें बनने के बाद इतनी जल्दी जर्जर हो गईं, तो क्या सिर्फ ठेकेदार दोषी है या अधिकारियों की मिलीभगत भी है?
जनता का ग़ुस्सा फूट पड़ा
धमतरी की अवाम अब सीधे तौर पर पूछ रही है —
"अगर ठेकेदार ने मरम्मत नहीं की, तो अधिकारी क्या कर रहे थे? क्या मिलीभगत का खेल चल रहा है?"
लोगों का कहना है कि अगर समय रहते नोटिस जारी किया जाता और मरम्मत कराई जाती, तो आज सड़कों की ये हालत न होती।
कानून भी चुप नहीं रहने देता
नियम तो साफ कहता है कि सड़क निर्माण के बाद 5 वर्षों तक ठेकेदार को मेंटेनेंस करना ही होगा। वरना ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई होगी। पर जब अधिकारी ही कार्रवाई से मुंह मोड़ लें, तो फिर दोष किसका? सवाल गंभीर हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं।
सड़कें गड्ढों में तब्दील, भरोसा भी डगमगाया
शहर के कई इलाकों — चाहे वो सदर रोड हो, बनिया पारा या रिसाई पारा जगह-जगह सड़कों की हालत खराब हो चुकी है। हर गड्ढा ये चीख-चीख कर कह रहा है कि काम सिर्फ कागजों पर हुआ, जमीनी स्तर पर नहीं।
अब जनता पूछ रही है
- दोषी ठेकेदारों पर कब होगी कार्रवाई?
- क्या भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने की कोशिश हो रही है?
- क्या धमतरी में सड़क घोटाला दबा दिया जाएगा?
धमतरी अब जवाब मांग रहा है।
और अगर जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो जनता सड़क से उठकर आंदोलन की राह पकड़ सकती है — ऐसी चर्चा अब तेज हो चुकी है।