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“कमरा बंद था... बदबू आने लगी... जब दरवाज़ा टूटा, तो जो देखा उसने सबको हिला दिया”



धमतरी। नया बस स्टैंड के पास आशियाना होटल के एक कमरे में तब अफरा-तफरी मच गई जब पांच दिन से बंद पड़े कमरे से बदबू आने लगी। होटल स्टाफ ने जब दरवाज़ा खोला, तो अंदर का मंजर देखकर होश उड़ गए — एक नौजवान की लाश फंदे से लटक रही थी, और हालत इतनी खराब थी कि पहचानना भी मुश्किल हो गया था।

बिलासपुर का रहने वाला था मृतक युवक, कैंसर से था परेशान

शिनाख्त हुई तो पता चला कि मृतक किशोर वैष्णव नाम का युवक था, जो बिलासपुर का रहने वाला था। होटल रजिस्टर में उसकी एंट्री कुछ दिन पहले की थी, लेकिन स्टाफ ने न चेकआउट पूछा, न रूम सर्विस भेजी — ये लापरवाही अब पुलिस जांच का बड़ा हिस्सा बन चुकी है।

आख़िरी ख़त में लिखा: “अब और दर्द नहीं सहा जाता...”

युवक ने मरने से पहले अपनी बहन को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उसने अपने दर्द का ज़िक्र किया — लिखा कि वो कैंसर की बीमारी से बहुत परेशान है और अब जीने की कोई वजह नहीं बची। उसने लिखा:

> “बहन, माफ़ करना... मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन अब और नहीं होता। ये दर्द अंदर से खा रहा है... मैं थक गया हूँ।”

चिट्ठी पढ़कर हर कोई भावुक हो गया — ये सिर्फ एक ख़त नहीं, बल्कि एक टूट चुके इंसान की चीख़ थी, जिसे कोई सुन नहीं सका।

होटल स्टाफ की चुप्पी पर उठे सवाल

सबसे बड़ा सवाल ये है कि होटल प्रबंधन ने पांच दिन तक कमरे की सुध क्यों नहीं ली ? क्या कोई नहीं जानना चाहता था कि अंदर रहने वाला मेहमान ज़िंदा भी है या नहीं ? क्या ये सिर्फ लापरवाही थी, या जानबूझकर अनदेखी ?

पुलिस जांच जारी, हर पहलू पर हो रही तफ़्तीश

कोतवाली थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की गहराई से जांच की जा रही है। होटल मैनेजर और स्टाफ से पूछताछ चल रही है। फ़िलहाल खुदकुशी की वजह बीमारी मानी जा रही है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।

ये सिर्फ खुदकुशी नहीं, एक सवाल है हम सबके लिए

कभी-कभी इंसान सिर्फ बीमारी से नहीं, तन्हाई और बेबसी से भी मरता है। अगर समय रहते किसी ने उस युवक का हाल पूछा होता, शायद उसकी जान बच सकती थी। समाज, परिवार, दोस्त — क्या हम वाकई उन लोगों के पास हैं जो अंदर से टूट रहे है ?

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