छत्तीसगढ़ में धान खरीदी घोटाले से जुड़ा एक सनसनीखेज मोड़ तब सामने आया जब धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किए गए राजनांदगांव निवासी दुर्गेश कठोरिया की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। यह मौत महज एक "तबीयत बिगड़ने" का मामला है या हिरासत में किसी हिंसा की दास्तान छिपी है – इस पर अब पूरा प्रदेश सवाल उठा रहा है।
ठगी के आरोप में गिरफ्तार, लेकिन मौत ने बदल दी कहानी
31 मार्च को अर्जुनी थाना पुलिस ने दुर्गेश को गिरफ्तार किया। आरोप था कि उसने किसानों से करोड़ों की ठगी की थी। पुलिस ने उसे अदालत से रिमांड पर लिया, लेकिन कुछ ही दिन बाद अचानक खबर आई – दुर्गेश अब इस दुनिया में नहीं रहा। पुलिस का दावा है कि तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। परिजनों के लिए ये खबर जैसे आसमान से गिरने वाली थी।
चोट के निशान या जांच का निशान? शव पर मिले संदिग्ध घावों से बढ़ा शक
परिवार का कहना है कि उन्हें न गिरफ्तारी की जानकारी दी गई, न ही हिरासत के दौरान कोई सूचना। मौत की खबर देर शाम दी गई और जब शव देखा गया तो उस पर कई चोटों के निशान मौजूद थे। क्या ये निशान पुलिसिया पूछताछ का नतीजा है ? या फिर कुछ छुपाया जा रहा है ?
कांग्रेस की तहकीकात टीम मैदान में, गांव से थाने तक खंगाले सबूत
घटना की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पाँच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। विधायक कुंवर सिंह निषाद, संगीता सिन्हा, ओंकार साहू समेत अन्य सदस्य सोमवार को भंवरमरा पहुंचे, परिजनों से बात की और अर्जुनी थाना पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया। टीम ने अधिकारियों से बातचीत कर तमाम जानकारियाँ जुटाई।
थाना प्रभारी सस्पेंड, जांच का दायरा बढ़ा – पर क्या मिलेगा इंसाफ?
सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अर्जुनी थाना प्रभारी सन्नी दुबे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच के आदेश भी दिए गए हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही, अत्याचार या जानबूझकर की गई साजिश साबित होती है, तो दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
अब सवाल यह है कि – दुर्गेश की मौत एक हादसा थी, या सिस्टम के भीतर छिपे अंधेरे की एक बानगी?
जांच जारी है, लेकिन जवाबों से ज़्यादा अभी सवाल सामने हैं।