धमतरी शहर की गलियों में इन दिनों सियासत का एक नया ड्रामा चल रहा है। मसला सीधा है — एक जनप्रतिनिधि, उनके पद का रौब... लेकिन ट्विस्ट ये है कि असली कमान किसी और के हाथ में है — उनका शौहर!
सूत्रों की मानें तो कई कर्मचारियों को हाल ही में मोबाइल पर धमकी भरे मैसेज मिले हैं। मैसेज का लहजा कुछ यूं था —
"बहुत हो गया... लापरवाही !"..हटा दूंगा
अब सवाल उठता है — ये आवाज़ किसकी है? जनप्रतिनिधि की... या उनके 'पार्टनर' की?
कर्मचारियों में हलचल:
इन मैसेजों के बाद कर्मचारियों के बीच ग़ुस्सा भड़क उठा है। कई लोगों का कहना है कि वो तो जनप्रतिनिधि के अंडर काम करते हैं, लेकिन अब उनके पति भी अफसरों वाला रुतबा दिखा रहे हैं।
"हमने तो उन्हें वोट दिया था, इनको नहीं... ये कौन होते हैं हमें धमकाने वाले?" — एक नाराज़ कर्मचारी की प्रतिक्रिया।
शहर में गूंज रही फुसफुसाहटें:
चौक-चौराहों से लेकर गुप्त व्हाट्सएप ग्रुप्स तक, हर जगह एक ही सवाल गूंज रहा है —
"जनता ने किसे चुना, और असल में फैसले कौन ले रहा है?"
ये कहानी किसी फिल्मी प्लॉट से कम नहीं लगती —
एक जनप्रतिनिधि, एक ताक़तवर पति जो पर्दे के पीछे से सब कंट्रोल करता है, और एक सिसकता सिस्टम जो सिर्फ तमाशा देख रहा है।
लोग कह रहे हैं:
"धमतरी में अब कुर्सी नहीं, पर्दे के पीछे की परछाई हुकूमत चला रही है!"
प्रशासन चुप, जनता हैरान:
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस 'पर्दे के पीछे वाले खिलाड़ी' पर कोई कार्रवाई करता है या नहीं।
जनता पूछ रही है —
"क्या अब राइट टू रिप्रेजेंटेशन में पति-पत्नी पैकेज डील हो गई है?"