रायपुर: रविवार की रात थी, लेकिन काली रात बन गई साहू परिवार के लिए। रायपुर-बालौदाबाजार मार्ग पर सरागांव के पास एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे छत्तीसगढ़ को हिला कर रख दिया। छठ्ठी के खुशी-भरे माहौल से लौट रहा एक परिवार कभी नहीं जानता था कि ये सफर उनकी ज़िंदगी का आख़िरी सफर बन जाएगा।
छट्ठी से लौट रहे थे। सबके चेहरों पर थकान के साथ मुस्कान थी। मिनी ट्रक में बैठकर चटोद गांव निवासी पुनीत राम साहू का पूरा परिवार और उनके रिश्तेदार बाना गांव से वापस लौट रहे थे। जैसे ही गाड़ी बंगोनी गांव के पास पहुंची, सामने से आ रहे ट्रेलर की मशीनरी साइड से निकली हुई थी — और उसी लोहे के टुकड़े से मिनी ट्रक टकरा गया।
टक्कर… चीखें… अंधेरा… और फिर सन्नाटा।
एक पल में सबकुछ बदल गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि मिनी ट्रक अनियंत्रित होकर पीछे से आ रहे एक और ट्रक से जा भिड़ा। और फिर वहां सिर्फ लहू था, टूटी हुई सांसें थीं और तड़पते जिस्म थे।
13 ज़िंदगियाँ थम गईं।
9 महिलाएं, 2 बच्चियां, एक किशोर और एक 6 महीने का मासूम… अब कभी घर नहीं लौटेंगे।
कई घायल अब ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
मौके पर पहुंची पुलिस, एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह और एएसपी कीर्तन राठौर ने मोर्चा संभाला। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन ज़ख्म तो पूरे गांव को लग चुका था।
एक ही परिवार में 13 चिताएं जलेंगी।
साहू परिवार का हर सदस्य अब ग़म की चादर में लिपटा है। बाना गांव की खुशियां अब मातम में बदल चुकी हैं।
और अंत में…
जिस मिनी ट्रक ने उन्हें त्योहार से वापस लाया, उसी ने उन्हें इस दुनिया से ही दूर कर दिया।
"ज़िंदगी की इस ट्रेजेडी में ना कोई विलेन था, ना ही कोई हीरो... बस एक ग़लती, और सब कुछ ख़त्म।"