रायपुर-बस्तर नेशनल हाइवे पर आज सुबह का मंजर किसी डरावनी फिल्म से कम ना था। मौसम साफ था, सुबह के चार बज रहे थे, और ज़िंदगी अपनी रफ़्तार में थी... लेकिन कुछ ही पलों में सब कुछ बदल गया।
महिंद्रा कंपनी की सवारी बस, जो रोज़ की तरह मुसाफिरों को लेकर रायपुर से रवाना हुई थी, उसे क्या पता था कि आज का ये सफ़र कुछ के लिए आख़िरी साबित होगा। पुरुर के पास जैसे ही बस एक मोड़ पर पहुंची, सामने सड़क किनारे खड़ा एक भारी-भरकम ट्रक अचानक सामने आ गया — और फिर जो हुआ वो दिल दहला देने वाला था।
बस तेज़ रफ़्तार में थी। ड्राइवर को शायद ट्रक दिखा, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। "धड़ाम!" — एक भयानक टक्कर, ज़ोरदार आवाज़, चीखें, खून और अफ़रा-तफ़री। कुछ पल के लिए सब कुछ थम गया... जैसे वक़्त ने भी अपनी साँसें रोक लीं हों।
हादसे में एक मुसाफिर की मौके पर ही मौत हो गई — और दर्जनों यात्री ज़ख्मी हालत में पड़े थे — कोई सीट के नीचे फंसा, कोई शीशा तोड़कर बाहर गिरा। बस का अगला हिस्सा ऐसा लग रहा था जैसे लोहे की चादरों में तब्दील हो गया हो।
मौके पर पहुंचे स्थानीय लोग और पुलिस ने घायलों को बड़ी मशक्कत से निकाला। कुछ को गुरूर तो कुछ को धमतरी जिला अस्पताल भेजा गया। डॉक्टरों की टीम फ़ौरन हरकत में आई। कई मुसाफ़िरों की हालत नाज़ुक बताई जा रही है।
इस हादसे ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिए —
क्यों नहीं होती ट्रकों की सही पार्किंग?
क्यों तेज रफ़्तार पर कोई लगाम नहीं?
और कब तक मासूम मुसाफ़िर यूं ही हादसों के शिकार होते रहेंगे...?
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और हादसे की जांच शुरू हो चुकी है।
आज ये सड़क, जो हर रोज़ सैकड़ों कहानियों को मंज़िल तक पहुंचाती है — ख़ुद एक खौफ़नाक कहानी बन गई...