धमतरी शहर का बांसपारा वार्ड इन दिनों चर्चा में है, लेकिन वजह कोई आम नहीं—यहां वार्ड की तक़दीर बदलने उतरीं पार्षद नम्रता पवार खुद बन गईं 'रणचंडी'। तीन महीने से शौचालय की बदहाली से परेशान वार्डवासी जब आखिरकार अपनी शिकायतें लेकर पार्षद के घर पहुँचे, तो शांत स्वभाव वाली नम्रता का सब्र टूट गया।
"अब और नहीं!" – यही शब्द थे जब नम्रता पवार ने अपनी चुप्पी तोड़ी। वार्डवासियों की दर्दभरी बातों को सुनते ही उनका चेहरा गुस्से से तपने लगा।
मंगलवार को वे खुद चल पड़ीं शौचालय की जमीनी हकीकत देखने – और जो देखा, वो देखकर उनकी रग-रग में आग लग गई।
दरवाजे टूटे हुए, टोटियां गायब, बदबू से भरा माहौल... और सफाई का नामो-निशान नहीं।
"ये शौचालय है या शर्मिंदगी का घर?" – गुस्से से कांपते हुए नम्रता ने तुरंत मौके पर अधिकारियों, सब इंजीनियर और ठेकेदार को बुला लिया।
और फिर... लाठी उठ गई।
हाँ, सही सुना आपने। नम्रता पवार के हाथ में आई लाठी, और लाठी के साथ आया ऐलान –
"24 घंटे में चाहिए रिजल्ट... नहीं तो कैंसल होगा कांट्रेक्ट!"
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एक भी वार्डवासी दोबारा इसी गंदगी की शिकायत लेकर पहुँचा, तो कोई माफ़ नहीं किया जाएगा।
ठेकेदार और कर्मचारी जब बहाने बनाने लगे, तो पार्षद ने साफ़ कह दिया –
"अब कोई सफाई नहीं चाहिए, सिर्फ़ सफाई चाहिए!"
एक महिला पार्षद का इस तरह डटकर खड़ा होना आज वार्डवासियों को राहत की उम्मीद दे गया।
जहां नगर निगम सिर्फ़ आश्वासन देता रहा, वहां अब "डंडे की गूंज" से सच में कुछ बदलता नज़र आ रहा है।
अंत में सिर्फ़ इतना ही कहा जा सकता है:
जब प्यार से बात ना सुनी जाए, तो रणचंडी बनना पड़ता है... और नम्रता पवार ने ये साबित कर दिया।