रात का वक्त था, शहर की रफ्तार धीमी होने लगी थी... दुकानों के शटर गिरने को थे... मगर ठीक 8 बजकर 40 मिनट पर धमतरी के बीचों-बीच, सराफा बाजार में वो हुआ जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी।
बरडिया आभूषण, एक नामचीन सराफा दुकान, जहां रोज़ चमकते हैं सोने-चांदी के ज़ेवर और बैठती है रोज़ की रौनक। मगर उस रात रौनक नहीं, ख़ौफ़ उतरा... और उतरे दो नकाबपोश बदमाश।
पैदल आए, सीधे दुकान में दाख़िल हुए। ना किसी ने रोका, ना कोई पुलिस की मौजूदगी दिखाई दी।
दुकान के अंदर बैठे थे मालिक भंवरलाल बरडिया और उनकी बेटी नैना बरडिया।
और फिर —
एक झटके में बदमाश ने निकाली एयर गन और फायर कर दिया!
गोली लगी नैना के पैर में। दर्द से कराहती लड़की ज़मीन पर गिर पड़ी... और तब शुरू हुआ अफ़रातफ़री का मंजर।
चारों ओर चीख़-पुकार, भागदौड़, लोगों में दहशत फैल गई। बदमाश भाग निकले — बेधड़क, बेखौफ़।
पुलिस?
जिसे हर रोज़ गश्त पर होने का दावा किया जाता है — वो नज़र तक नहीं आई।
पुलिस की पेट्रोलिंग कहां थी?
इतना भीड़भाड़ वाला इलाका... बस स्टैंड के सामने... क्या एक भी जवान आस-पास मौजूद नहीं था?
पुलिस के सुस्त रवैये पर उठे हैं बड़े सवाल:
- क्या गश्त सिर्फ कागज़ों पर थी?
- जब तक गोली न चले, तब तक पुलिस क्यों नहीं दिखती?
- CCTV देखने से पहले मौके पर पुलिस क्यों नहीं पहुंची?
घायल नैना को तुरंत मसीही अस्पताल में भर्ती कराया गया।
डॉक्टरों की टीम उसके पैर से छर्रे निकालने की कोशिश में जुटी है। हालत स्थिर है, लेकिन मानसिक सदमा गहरा है।
व्यापारी वर्ग में ग़ुस्सा है।
"अगर आज बरडिया ज्वेलर्स निशाना बने हैं, तो कल कौन होगा?"
"पुलिस को सिर्फ ट्रैफिक चालान में रुचि है, सुरक्षा अब भगवान भरोसे है..."
ऐसे जुमले आज शहर के हर कोने में गूंज रहे हैं।
एसपी धमतरी घटनास्थल पर पहुंचे, बयान दिया —
"CCTV फुटेज के आधार पर जांच जारी है, आरोपियों को जल्द पकड़ा जाएगा..."
मगर जनता का भरोसा तब टूटता है, जब सुरक्षा की सबसे ज़रूरी घड़ी में सुरक्षा ही गायब हो।
अंतिम सवाल:
क्या धमतरी अब सुरक्षित नहीं रहा?
क्या बदमाशों को यकीन था कि पुलिस नहीं आएगी?
या उन्हें पता था — रात की गश्त सिर्फ नाम की होती है?
जब गोलियां चलती हैं और सायरन बाद में बजता है, तो सिस्टम पर यकीन डगमगाने लगता है।
"ये कोई फ़िल्म नहीं, धमतरी की हकीकत है — 8:40 की वो रात, जब बदमाश बोले और पुलिस चुप रही..