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"ना कोई रण, ना कोई जंग... "हाथ ज़ख़्मी, पर सवाल जिंदा — क्यों बना गुरुजी नफ़रत के तीर का निशाना?" क्या ये एक हादसा था या सोची-समझी चाल?"

धमतरी जिले के बेलोरा गांव में एक ऐसा वाक़या पेश आया, जिसने लोगों को हैरान कर दिया। एक तरफ था एक शरीफ स्कूल मास्टर – अनिल कुमार – जो मोहल्ले में अमन और चैन का पैगाम लेकर चलता था। और दूसरी तरफ – एक ग़ुस्सैल पड़ोसी, जिसकी आँखों में 3 महीने पुरानी रंजिश अब भी शोले की तरह धधक रही थी।

हुआ यूँ कि एक रोज़ बेलोरा की गलियों में, अनिल के घर के सामने, उनके पड़ोसी गणेश्वर कुमार और उसकी बीवी सुकारो बाई के बीच ज़बरदस्त झगड़ा चल रहा था। तकरार इतनी बढ़ गई कि आवाजें दूर-दूर तक गूंजने लगीं। गुरुजी से रहा न गया – वो तो ठहरे शांति के पुजारी, बीच-बचाव करने निकल पड़े।

लेकिन कौन जानता था कि शांति की यह कोशिश, जानलेवा बन जाएगी!
गणेश्वर, जो पहले ही ग़ुस्से में उबल रहा था, बेकाबू हो गया। अपशब्दों की बारिश करते हुए वो सीधे घर गया और अपने हथियार... यानी तीर-कमान लेकर लौट आया। और फिर उसने बिना कुछ सोचे, अनिल पर तीर छोड़ दिया!

अनिल ने अपनी जान बचाने के लिए तीर को बाएं हाथ से रोकने की कोशिश की, लेकिन तीर उनके हाथ के पंजे में गहराई तक धंस गया। दर्द से कराहते अनिल ज़मीन पर गिर पड़े और आरोपी गणेश्वर मौके से फरार हो गया

गांववालों ने मिलकर अनिल को फौरन शासकीय अस्पताल मगरलोड पहुँचाया, जहां से उन्हें धमतरी रेफर कर दिया गया। इलाज के बाद 14 मई को, अनिल ने थाने जाकर अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने बताया कि गणेश्वर से पहले भी पानी मशीन को लेकर तकरार हो चुकी है – और शायद उसी दिन से उनके दिल में नफ़रत का बीज बोया गया था।

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और अब वारदात की तह तक जाने की कोशिश जारी है।

तो क्या गुरुजी को इंसाफ़ मिलेगा?
क्या रंजिश की ये आग किसी और को भी जला सकती है?
या फिर क़ानून की तीर से चलेगा न्याय का कमान?

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