धमतरी नगर निगम का पानी फिल्टर प्लांट महीनों से बंद पड़ा है, लेकिन शहर की एक लाख से ज़्यादा आबादी को आज भी वही बिना उपचारित, गंदा और ज़हरीला पानी परोसा जा रहा है।
क्लोरीन क्लियरेंस मशीन और एलम मिक्सिंग यूनिट — दोनों ही महीनों से खराब हैं। जिस क्लोरीन से पानी में कीटाणु खत्म किए जाते हैं, और जिस एलम से गंदगी बैठाई जाती है, उन्हें अब मशीन से नहीं, बल्कि ‘हाथ से अंदाज़ा लगाकर’ मिलाया जा रहा है।
यह अंदाज़ा अब जनता की जान के लिए ख़तरा बन गया है।
बीमारियों का डर, मौत का साया
चिकित्सकों की चेतावनी है कि बिना ट्रीटमेंट वाला पानी पीने से टायफाइड, डायरिया, पीलिया, हैज़ा, गैस्ट्रो जैसी बीमारियां फैल सकती हैं। और यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो हालात जानलेवा भी हो सकते हैं।
बारिश का मौसम दरवाज़े पर खड़ा है। नालियां, गंदा पानी, और बिना फ़िल्टर का सप्लाई — ये तीनों मिलकर शहर को बीमारियों की "जालिम ज़ंजीरों" में कैद कर सकते हैं।
ज़िम्मेदार क्या कर रहे हैं?
जहाँ जनता पानी के एक-एक बूंद के लिए सुरक्षित विकल्प खोज रही है, वहीं निगम के ज़िम्मेदार एक-दूसरे पर इल्ज़ाम थोपने में लगे हैं।
कोई फंड की कमी बता रहा है, कोई टेंडर में देरी, और कोई कह रहा है कि सब ठीक है।
"हमें जवाब नहीं, साफ़ पानी चाहिए!"
शहरवासियों का यही नारा अब उभरने लगा है।
जनता की पीड़ा, प्रशासन की बेफिक्री
"हम रोज़ वही गंदा पानी पीते हैं, बच्चे बीमार हो जाते हैं, अस्पताल दौड़ना पड़ता है..."
— लक्ष्मी बाई, सोहन कुमार , अनुराग
"मशीनें महीनों से बंद हैं, हाथ से क्लोरीन डाला जाता है, पर कोई गंभीर नहीं है।"
— निगम का एक कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर
अब सवाल उठते हैं…
- क्यों महीनों से बंद है फ़िल्टर प्लांट?
- क्लोरीन और एलम की जांच कौन कर रहा है?
- क्या किसी बड़े हादसे का इंतज़ार है प्रशासन को?
- कब मिलेगा धमतरी को साफ़ और सुरक्षित पानी?
अगर अब भी लापरवाही बरती गई, तो धमतरी एक ‘स्वस्थ शहर’ से एक ‘बीमार शहर’ में तब्दील हो जाएगा।
जनता को जागरूक और प्रशासन को जवाबदेह बनाना होगा — वरना ये ख़बर कल सिर्फ़ एक रिपोर्ट नहीं, एक त्रासदी की कहानी बन जाएगी।