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धर्म और बैराग्य की अनूठी मिसाल: लीलम चंद जी सुराणा का संयम, तप और साधना की कठिन राह पर प्रवेश

 


धमतरी शहर के आध्यात्मिक और रूहानी इतिहास में एक नया सुनहरा बाब जुड़ गया जब भौतिक सुख-संपत्ति, धन-दौलत, शोहरत और मान-सम्मान की चकाचौंध को ठुकराते हुए बैरागी भाई लीलम चंद जी सुराणा ने अपनी पूरी जिंदगी को संयम, तप और इबादत के उस कठिन रास्ते पर समर्पित कर दिया, जो सिर्फ रूहानी तलबगारों के हिस्से में आता है।

उन्होंने दुनिया की चमक-दमक को अलविदा कहकर, मोह-माया और ऐशो-आराम की हर नेमत को त्यागकर खुद को प्रभु महावीर स्वामी की अनंत यात्रा के सुपुर्द कर दिया। इस मौके पर पूरे शहर में एक रूहानी समां बंध गया। उनके मंगल प्रवेश पर शहर के शास्त्री चौक से इतवारी बाजार जैन मंदिर तक एक भव्य धर्म शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें शहरवासियों ने हर मुकाम पर स्वागत और इस्तकबाल किया।

मठ मंदिर चौक में नगर निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा और प्रतिष्ठित दाऊ परिवार के बालाजी गुप्ता, अमरनाथ गुप्ता, गौरव गुप्ता समेत कई श्रद्धालुओं ने उनका इस्तकबाल करते हुए इस घड़ी को शहर की धार्मिक विरासत के लिए एक नायाब लम्हा करार दिया।

गौरतलब है कि साधक लीलम चंद जी, परम पूज्य आचार्य 1008 श्री रामलाल जी म.सा. के आज्ञानुवर्ती सुशिष्य शासन दीपक श्री अक्षय मुनि जी म.सा. और श्री दिनेश मुनि जी म.सा. की ठाणा में दीक्षार्थी होंगे।

इस मौके पर राजेंद्र शर्मा ने कहा कि धमतरी की सरजमीं पर यह वह लम्हा है जो युगों-युगों तक याद किया जाएगा। यह सिर्फ एक शख्स का वैराग्य नहीं, बल्कि आध्यात्मिक इंकलाब का ऐलान है। इस मिसाल से शहर को एक नई पहचान और हमारे धर्म को बुलंदियों का एक नया मुकाम हासिल होगा, जो हमारी सबसे बड़ी रूहानी दौलत है।

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