धरती की छाती पर जब कोई नदी बहती है, तो वह केवल पानी नहीं लाती — वह जीवन लाती है, संस्कृति लाती है, सभ्यता को सींचती है। ऐसी ही एक जीवनदायिनी, महानदी — अब पुकार रही है। उसकी पीड़ा को समझते हुए धमतरी जिला प्रशासन ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है: ‘माँ अभियान’।
यह कोई सरकारी योजना नहीं — यह संवेदना है। यह अभियान है नदी को माँ मानकर उसकी सेवा का। धमतरी से निकली यह पहल अब पूरे छत्तीसगढ़ को जल-सुरक्षित और संस्कृति-सजग बनाने की ओर बढ़ रही है।
‘माँ अभियान’ क्या कहता है?
यह अभियान केवल नदी की सफ़ाई तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य है नदी के जन्म स्थान से लेकर उसकी यात्रा तक — हर मोड़, हर घाट, हर वृक्ष और हर भावना को संरक्षित करना।
अभियान के चार मजबूत स्तंभ:
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स्वच्छता और अतिक्रमण हटाना:
नदी के किनारों पर फैली गंदगी और अवैध कब्जों से मुक्त कर एक खुली, स्वच्छ और मुक्त बहती महानदी को पुनर्जीवित करना। -
वृक्षारोपण व कटाव रोकना:
हरे पेड़ों की छांव में बहती नदी — यही दृश्य हमें फिर देखना है। इससे न केवल नदी बचेगी, बल्कि जलवायु भी सुधरेगी। -
जल संरक्षण की संरचनाएँ:
जल ही जीवन है। इस अभियान के तहत तालाब, जल कुण्ड, चेक डैम जैसे स्थायी समाधान बनेंगे, जिससे भूजल स्तर स्थिर रहेगा। -
धार्मिक व सांस्कृतिक विकास:
माँ केवल जल नहीं देती, वो मन को भी पवित्र करती है। घाट, कुंड, धर्मशालाएँ और परंपरागत स्थल विकसित होंगे, जिससे लोगों का आस्था से जुड़ाव और गहरा होगा। एक कलेक्टर नहीं, एक सपूत की पुकार:
जिला कलेक्टरअबिनाश मिश्रा ने इस अभियान को केवल प्रशासनिक योजना न मानते हुए इसे “भावनात्मक उत्तरदायित्व” बताया। उनका कहना है,
“हमारी महानदी, हमारी माँ है। उसे बचाना अब सिर्फ़ पर्यावरण की बात नहीं — यह आत्मा की पुकार है। आइए, हम सब मिलकर एक नई शुरुआत करें।”
शुभारंभ की तिथि:
2 मई 2025 से जिले में जगह-जगह इस अभियान की शुरुआत होगी।
हर गाँव, हर स्कूल, हर दिल को इससे जोड़ा जाएगा।
यह समय है संकल्प का, समर्पण का।
महानदी को फिर से जीवन देना है —
क्योंकि ‘माँ’ को पुकारते हुए अनसुना नहीं किया जा सकता।
आइए, जल बचाएँ, संस्कृति बचाएँ, भविष्य बचाएँ — ‘माँ अभियान’ के साथ।