गाँव पठार के नज़दीक पिकअप अचानक बेक़ाबू हो गई। एक ज़ोरदार धमाके के साथ गाड़ी पलट गई — और वहीँ मिट्टी में मिल गईं दो मासूम ज़िंदगियाँ: सुकली बाई और रत्निबाई कमार। दिल दहला देने वाला मंजर था... चीख़-पुकार, लहू-लुहान जिस्म, बिखरी हुई चप्पलें, और आंसुओं में डूबी सिसकियाँ।
पुलिस मौक़े पर पहुँची, और घायलों को फ़ौरन कुरूद अस्पताल भेजा गया। जिनकी हालत ज़्यादा नाज़ुक थी, उन्हें रायपुर रेफ़र कर दिया गया। हादसे ने पूरे गाँव को सदमे में डाल दिया है।
एक शादी जहाँ बंधन जुड़ते हैं — वहीँ दो घर उजड़ गए... और छोड़ गए यादें, जो हमेशा एक टीस बनकर रह जाएँगी।
क्या यही था क़िस्मत का फ़ैसला? या लापरवाही की एक भारी क़ीमत...?
जवाब अभी बाक़ी है।